Sunday, June 23, 2013

खराब मौसम के बाद फिर शुरू हुए बचाव कार्य

उत्तराखंडः खराब मौसम के बाद फिर शुरू हुए बचाव कार्य 
देहरादून, एजेंसी

बारिश से प्रभावित उत्तराखंड में रविवार को सुबह खराब मौसम के चलते राहत और बचाव अभियान कुछ समय तक स्थगित रहने के बाद फिर से युद्धस्तर स्तर पर शुरू हो गया है और ऊंचाइयों पर अभी भी फंसे 22 हजार तीर्थयात्रियों को निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।मौसम विभाग ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि कल से क्षेत्र में हल्की बारिश शुरू हो सकती है। बारिश से सर्वाधिक प्रभावित रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिलों से अब तक करीब 70 हजार तीर्थयात्रियों को निकाला जा चुका है जहां हिमालय क्षेत्र के पवित्र तीर्थस्थ्सल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं।
राहत कार्यों में 40 से ज्यादा हेलीकॉप्टर, सेना और अर्धसैनिक बलों के 10 हजार कर्मी जुटे हुए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि देहरादून और जोशीमठ में हल्की बारिश की वजह से आज सुबह राहत कार्यों में विलम्ब हुआ, लेकिन करीब एक घंटे बाद जैसे ही मौसम खुला, राहत और बचावकर्मी फिर से अपने काम में जुट गए।
उन्होंने कहा कि हल्की से मध्यम बारिश होने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मद्देनजर राहत प्रयास तेज कर दिए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कई टूटी सड़कों की मरम्मत कर दिए जाने से लोगों को निकालने की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। फंसे हुए बहुत से लोगों को अब सड़क मार्गों के जरिए भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के उप महानिरीक्षक अमित प्रसाद ने बताया कि फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए बद्रीनाथ के नजदीक करीब 50 किलोमीटर के क्षेत्र में पगडंडी बनाई जा रही है।
प्रसाद ने कहा कि यह मौसम पर निर्भरता कम करने के लिए है, जो हवाई राहत अभियान को प्रभावित कर सकता है। ये सड़कें तीर्थस्थल के नजदीक माना क्षेत्र में बनाई जा रही हैं। आईटीबीपी के लगभग 200 जवान इस काम में लगे हैं। उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग के जंगलचट्टी इलाके में करीब 500 तीर्थयात्री फंसे हो सकते हैं और उन्हें वहां से जल्द से जल्द निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।
केदारनाथ के नजदीक गौरी गांव और रामबड़ा में दो हेलीपैड बनाए गए हैं। आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने यहां कहा कि केदारनाथ घाटी से सभी फंसे हुए तीर्थयात्रियों को निकाल दिया गया है, अब पूरा ध्यान बद्रीनाथ की तरफ केंद्रित हो गया है जहां करीब सात-आठ हजार तीर्थयात्री फंसे हैं। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें पर्याप्त खाद्य सामग्री और दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
इस अभूतपूर्व आपदा में मरने वालों की संख्या कल उस समय 673 हो गई, जब केदरानाथ क्षेत्र से 123 शव मिले। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि मरने वालों की संख्या एक हजार तक हो सकती है। बहुगुणा ने यह भी कहा कि केदारनाथ मंदिर को फिर से पहले जैसा स्वरूप देना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और यह काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के परामर्श से किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विभिन्न स्थानों से मिले शवों का परंपरागत रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाएगा और मृतकों की आत्मा की शांति के लिए आपदा के 13वें दिन हरिद्वार में महायज्ञ किया जाएगा। यह सलाह संत समाज ने उस समय दी जब बहुगुणा और केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे कल हरिद्वार में उनसे मिले।
कल प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद बहुगुणा से मिले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कर इसे देश के अत्याधुनिक मंदिरों में से एक बनाने में राज्य सरकार को हरसंभव मदद देने की पेशकश की।

डेरा सच्चा सौदा ने उतराखंड में भेजी राहत सामग्री

डेरा सच्चा सौदा ने उतराखंड में भेजी राहत सामग्री 

उतराखंड में राहत कार्यों के लिए पहुंचे डेरा अनुयायी

उतराखंड में राहत कार्यों के लिए पहुंचे डेरा अनुयायी 

250 रुपए में मिल रहा एक परांठा , चिप्स का पैकेट 100 रुपए का

फंसे पर्यटक अनुचित दामों पर भोजन खरीदने को विवश
250 रुपए में मिल रहा एक परांठा , चिप्स का पैकेट 100 रुपए का 
देहरादून, एजेंसी

उत्तराखंड में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए जहां कुछ लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं और उनकी रक्षा के लिए दुआएं की जा रही हैं, ऐसे में प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे लोगों के प्रति मानव उदासीनता की शर्मनाक खबरें भी सामने आ रही हैं।बाढ़ के कारण यहां फंसे लोगों को एक परांठे के लिए 250 रुपए और चिप्स के एक छोटे से पैकेट के लिए 100 रुपए देने पड़ रहे हैं। बाढ़ पीड़ित 56 वर्षीय देहरादून निवासी मनोहर लाल मौर्य ने कहा कि मुझे एक छोटी कटोरी चावल के लिए 40 रुपए देने पड़े। यहां कहीं भी भोजन उपलब्ध नहीं है।
उत्तर प्रदेश के अमित गुप्ता के संबंधी गौमुख में फंसे हुए हैं। अमित ने अपने संबंधियों से बात करने के बाद बताया कि उनके संबंधियों को चिप्स के दो छोटे पैकेट और पानी की दो बोतलों के लिए 400 रुपए देने पड़े।बाढ़ में फंसे अधिकतर लोगों के पास अधिक धन और सामान नहीं है और उनके लिए भोजन और पानी खरीदना बहुत मुश्किल हो गया है। बाढ़ में फंसे एक सिख पर्यटक ने कहा कि कुछ स्थानीय लोग उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं।
पर्यटक ने कहा कि टैक्सी चालक पहले जहां जाने के लिए 1000 रुपए लेते थे, अब वहां जाने के लिए 3000 से 4000 रुपए देने पड़ रहे हैं। हमारा पूरा धन खर्च हो गया है। हम असहाय हैं। रेलवे स्टेशन पर इंतजार कर रहे एक अन्य पर्यटक ने कहा कि दुकानदार 250 रुपए में एक परांठा और 200 रुपए में पानी की बोतल बेच रहे हैं। यह बहुत शर्मनाक बात है। सैकड़ों लोगों को कई दिनों से खाने के लिए कुछ नहीं मिल पाने की खबरों के बीच अधिकारी प्रभावित इलाकों में खाद्य सामग्री भेजने के प्रयास कर रहे हैं।

उत्तराखण्ड आपदा: सेना ने 18 हजार लोगों को बचाया

उत्तराखण्ड आपदा: सेना ने 18 हजार लोगों को बचाया
लखनऊ, एजेंसी

उत्तराखण्ड में कुदरत के कहर की विभीषिका झेल रहे जहां-तहां फंसे लोगों की जीने की आस पूरी रखने के लिये सेना जुटी है और अब तक दुर्गम तथा जंगलों से ढके—छुपे इलाकों में कई दिनों से भूख—प्यास से तड़प रहे करीब 18 हजार लोगों को बाहर निकाला गया है।उत्तराखण्ड में प्रलयंकारी आपदा के बाद राहत कार्य में जुटी सेना की मध्य कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि बेहद दुर्गम और खतरनाक इलाकों में सेना के जवान फंसे लोगों को ढूंढ रहे हैं और अब तक गंगोत्री, जोशीमठ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, पिण्डारी ग्लेशियर समेत विभिन्न इलाकों से करीब 18 हजार लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
उन्होंने बताया कि कई दिनों से भूख—प्यास से बेहाल लोगों को चिकित्सा सुविधा के लिये 19 मेडिकल केन्द्रों तथा आरामगृहों की व्यवस्था की गयी है।चैत ने बताया कि बादल फटने के कारण नदियों में उफान से मची तबाही से उत्तराखण्ड का करीब चालीस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है। चारों धामों को देखे तो करीब 400 किमी सड़क पर असर पड़ा है। इस चुनौतीपूर्ण आपदा से निपटने के लिये सेना के साढ़े आठ हजार जवान हर जगह मुस्तैदी से तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि सेना के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं और वह तमाम भौगोलिक दिक्कतों के बीच कहीं पर छोटे—छोटे पुल बनाकर तो कहीं दूसरे जरियों से लोगों को बाहर निकाल रही है। गंगोत्री क्षेत्र में कल तक 500 लोगों को निकाला गया।
चैत ने बताया कि कल उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से आपदा राहत सम्बन्धी प्रयासों के सिलसिले में बात की थी।मध्य कमान के प्रमुख अनिल चैत ने बताया कि गंगोत्री में एक नया हेलीपैड स्थापित कर लिया है। गंगोत्री में कल तक करीब 500 लोग फंसे थे। उस जगह पर रास्ते बनाए जा रहे हैं और उम्मीद है कि गंगोत्री में फंसे लोगों को कल तक बाहर निकाल लिया जाएगा।चैत ने बताया कि सेना के जवानों ने कल से आज तक विभिन्न इलाकों में फंसे 728 लोगों की उनके परिजन से बात करायी है। जवानों ने मंगल चटटी के दुर्गम स्थानों पर पहुंचकर वहां फंसे करीब एक हजार लोगों को राहत मुहैया करायी गयी। वहां से लोगों को निकालकर गौरीकुंड लाना शुरू कर दिया गया है। इसी के साथ तलाश और पहुंच कार्य तेजी से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा मैं भरोसा दिलाता हूं कि हम आपको निराश नहीं करेंगे। हम अपनी आंखों के सामने पड़ने वाले हर इंसान को बचाएंगे। चैत ने बताया कि बद्रीनाथ से होते हुए जोशीमठ और फिर एद्रप्रयाग की तरफ जाने वाले रास्ते पर अलकनंदा नदी पर बने पुल से कुछ लोग निकाले गये लेकिन वे पुल पानी के तेज बहाव में बह गये। आज फिर पुल बनाए गये है। आज रात तक गड़रिया और गोविंदधाम में फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पिण्डारी ग्लेशियर के पास 45 बच्चों का एक समूह फंसा था। सेना के जवानों ने उनसे सम्पर्क करके उन्हें सुरक्षित बचा लिया है। एक अन्य ग्रुप को तलाशा जा रहा है। चैत ने कहा कि उत्तराखण्ड में आये सैलाब का असर उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी जिलों में बहने वाली नदियों पर पड़ रहा है सेना ने पीलीभीत जिले में बाढ़ से प्रभावित सबसे ज्यादा दो हजार 400 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

उत्तराखंडः बारिश बनी विलेन, अभी भी फंसे हैं 22,000 लोग

उत्तराखंडः बारिश बनी विलेन, अभी भी फंसे हैं 22,000 लोग
देहरादून, एजेंसी

उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से मची तबाही में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए चल रहे राहत और बचाव कार्य में देहरादून में फिर से हो रही बारिश की वजह से दिक्कत आ रही है। बारिश के कारण यहां हेलीकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं।उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वृहद पैमाने पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के तहत कुल मिलाकर 70 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा अभी 22 हजार और लोगों को निकाला जाना बाकी है।
पहाड़ों से आयी पानी की तेज धार ने अपने पीछे मौत और तबाही का मंजर छोड़ा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मरने वालों संख्या एक हजार का आंकड़ा छू सकती है। उन्होंने कहा कि अंतिम मृतक संख्या तभी मिल सकेगी जब मलबा साफ होगा, जिसके नीचे कई शव दबे हो सकते हैं।
 केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव मिले
अधिकारियों ने कहा कि केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव मिले हैं जिससे आधिकारिक मृतक संख्या बढ़कर 680 हो गई है। सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 83 शवों की पहचान कर ली गई है। आपदा क्षेत्र से लोगों को निकालने के लिए शांतिकाल में चलाये गए अब तक के सबसे बड़े अभियान को आगे बढ़ाते हुए कुल 61 हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं जिसमें वायुसेना के 43 और सेना के 11 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। विश्व के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर रूस निर्मित एमआई-26 हेलीकाप्टरों को आज सेवा में लगाया गया। एमआई-26 हेलीकाप्टर में एक बार में डेढ़ सौ यात्री बैठ सकते हैं।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि सेना और आईटीबीपी ने चार-चार हजार लोगों को बचाया है जबकि फंसे अन्य लोगों को निकालने के लिए वायुसेना को लगाया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां पूर्ण समन्वय के साथ कार्य कर रही हैं। उन्होंने यह बात गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के उस बयान के कुछ घंटे बाद कही जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि समन्वय में कुछ कमी है।
पूर्व गृह सचिव एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य वीके दुग्गल को राहत एवं बचाव अभियान में लगी विभिन्न एजेंसियों के कार्य का समन्वय करने के लिए नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव मिले हैं जहां बिखरे पड़े शवों की गिनती करने के लिए विशेषज्ञों का एक दल आज पहुंचा। अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि अगले कुछ दिनों में और शव निकल सकते हैं क्योंकि क्षेत्र में पड़ा मलबा हटाया जा रहा है।

सुरक्षा बलों ने केदरानाथ धाम जाने के रास्ते में पड़ने वाले रामबाड़ा और जंगलीचट्टी में फंसे 1000 और तीर्थयात्रियों को देखा। तिवारी ने कहा कि चिंता का एक मुद्दा यह है कि जंगलचट्टी में 400 से 500 लोग फंसे हैं। केदारनाथ में 70 से 80 लोग अभी भी हैं। हेमकुंड साहिब में अभी भी 100 लोग जबकि बद्रीनाथ में 800 लोग फंसे हैं।


Saturday, June 22, 2013

उतराखंड में अपने परिजनों के बारे में जानने के लिए उत्तराखंड कंट्रोल रूम के नंबर (जिलावार):

उतराखंड में अपने परिजनों के बारे में जानने के लिए उत्तराखंड कंट्रोल रूम के नंबर (जिलावार):
पिथौड़ागढ़- 05964-228050, 226326, 09412079945
अलमोरा - 05962-237874, 09319979850
नैनीताल- 05942-231179, 09456714092
उधम सिंह नगर - 05944-250719, 250823, 09410376808
चमोली - 01372-251437, 251077, 09411352136
रुद्रप्रयाग - 01364-233727, 09412914875, 08859504022
उत्तरकाशी - 01374-226461, 09675082336, 09410350338
देहरादून- 0135-2726066, 09412964935
हरिद्वार - 01334-223999, 09837352202
टेहरी - 01376-233433, 09412076111
बागेश्वर - 05963-220197, 09411378137
चमपावत- 05965-230703, 09412347265
पोरी गढवाल - 01368- 221840, 08650922201
मध्य प्रदेश - 0755-2556422, 09926769808
आंध्र प्रदेश - 40234510

समन्वय की कमी से बचाव अभियान में बाधा: शिंदे

समन्वय की कमी से बचाव अभियान में बाधा: शिंदे
देहरादून, एजेंसी

उत्तराखंड में बचाव कार्य में लगी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी की बात को स्वीकार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि राज्य में फंसे करीब 40,000 तीर्थयात्रियों को बाहर निकालने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।भारी बारिश की वजह से आई इस त्रासदी के बाद जारी बचाव अभियानों की समीक्षा के लिए शनिवार को देहरादून पहुंचे शिंदे ने इसे राष्ट्रीय संकट करार दिया और फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के काम में लगी एजेंसियों के लिए तीन दिन की समयसीमा निर्धारित की है।उन्होंने कहा कि खराब मौसम की वजह से सुरक्षा बलों को बचाव अभियान में पेश आ रही दिक्कतों के बावजूद, फंसे हुए लोगों को निकालने का काम युद्धस्तर पर चलाया रहा है।
यहां सचिवालय में मुख्यमंत्री सहित दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए शिंदे ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए बद्रीनाथ से पंडुकेश्वर और केदारनाथ के बीच पैदल पुल बनाए जा रहे हैं।
जंगलछत्ती इलाके में फंसे लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा बलों द्वारा  तत्काल राहत प्रदान की जा रही है। गृह मंत्री ने बचाव अभियान में लगी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी की बात को स्वीकारते हुए कहा कि बचाव कार्यों के समन्वय और निगरानी के लिए आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ वी के दुग्गल को यहां तैनात किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बचाव कार्यों पर निगाह बनाए हुए है, हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह कोई मानव निर्मित त्रसदी नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक आपदा है। शिंदे ने कहा कि कुछ जगहों से बरामद हुए शव इतने खराब हो चुके हैं कि उन्हें पहचान पाना तक मुश्किल है।
इसके साथ उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान के लिए उनका डीएनए संरक्षित किया जाएगा।

Friday, June 21, 2013

उतराखंड कंट्रोल रूम के कुछ नंबर

उतराखंड  कंट्रोल रूम के कुछ नंबर
हेमकुंड साहिब, बद्रीनाथ, चमोली: 01372251437, 01372253785, 9411352136; टिहरी गढ़वालः 01376233433, 9412076111; देहरादून, ऋषिकेशः 01352726066, 9760316350, 9412992363; पौड़ी गढ़वालः 01368221840; अल्मोड़ा: 05962237874, 9411378137; पिथौरागढ़ः 05964228050, 9412079945; हरिद्वार: 01334223999, 9837352202; बागेश्वर: 05963220197; नैनीताल: 05944250719, 9410376808

गंगा में तैरते मिले 40 शव, मृतक संख्या 207 हुई

गंगा में तैरते मिले 40 शव, मृतक संख्या 207 हुई
देहरादून, एजेंसी

बेपनाह खूबसूरती के लिए मशहूर उत्तराखंड प्रकृति की ऐसी विनाशलीला का दंश झेल रहा है, जिससे उबरने में महीनों लग जाएंगे। दुर्गम पहाड़ों के बीच चारों ओर मौत का सन्नाटा है और जिंदा बचे लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। सैंकड़ों लोग टनों मलबे के नीचे दबे हुए हैं।इस आपदा की भयावह तस्वीरें एक एक कर सामने आ रहीं हैं और आज हरिद्वार के पास गंगा में तैरते हुए 40 शवों को निकाला गया। राज्य में आई इस भयावह आपदा में अब तक मृतक संख्या 207 पहुंच गयी है। उधर बचावकर्मियों ने पर्वतीय राज्य के अनेक दुर्गम स्थानों में अब भी फंसे हुए 50,000 लोगों को निकालने के काम को और रफ्तार दे दी है।एक सप्ताह पहले राज्य में भारी मॉनसून के प्रकोप के बाद से सेना, वायु सेना और आईटीबीपी समेत अनेक एजेंसियों द्वारा युद्धस्तर पर शुरू किये गये अभियानों में करीब 34,000 लोगों को निकाला जा चुका है। वायु सेना ने राहत और बचाव के काम के लिए 13 और हेलीकॉप्टरों को लगाया है और इस तरह अभियान में कुल मिलाकर 43 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं।
वायु सेना ने एमआई—26 हेलीकॉप्टर को सीमा सड़क संगठन के लिए जरूरी ईंधन और भूस्खलन के बाद बंद हुए रास्तों को साफ करने के लिए जरूरी संसाधनों को पहुंचाने के लिए लगाया है। उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि मृतक संख्या काफी ज्यादा और स्तब्ध करने वाली हो सकती है। इससे साफ संकेत है कि हालात सामान्य होते होते यह आपदा बड़ी विनाशलीला कर चुकी होगी और भारी संख्या में लोगों को लील चुकी होगी।
फंसे हुए लोगों को पिछले कुछ दिन से कुछ भी खाने को नसीब नहीं होने की खबरों के बाद खाने के पैकेट पहुंचाने के प्रयास भी तेज कर दिये गये हैं।

उत्तराखंड में अभी भी फंसे हैं 50,000 तीर्थयात्री

उत्तराखंड में अभी भी फंसे हैं 50,000 तीर्थयात्री
नई दिल्ली, एजेंसी

बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड के कई इलाकों में अभी भी लगभग 50,000 लोग फंसे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ बैठक के बाद शिंदे ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने 34,000 से अधिक लोगों को निकाल लिया है, मगर तकरीबन 49,000से 50,000 तक लोग अभी भी वहां फंसे हुए हैं।’’शिंदे ने कहा, ‘‘मृतकों की संख्या अब तक 207 है, लेकिन मलबे में कुछ और लोग दबे हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि वह शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का मुआयना करने जाएंगे।

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