...ये वक्त सियासत का नहीं
डॉ संदीप सिंहमार।
वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।
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हरियाणा प्रदेश के मेवात जिले सहित विभिन्न जिलों में विश्व हिंदू परिषद की ब्रज मंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा के मामले में पक्ष और विपक्ष को सियासत छोड़कर समाधान की ओर मिलजुल कर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे हालात देश प्रदेश में जब भी बनते हैं, उस वक्त तो कम से कम राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीति करने के वह बयान बाजी करने के मौके और बहुत होते हैं। इस मामले में ना तो सत्तासीन सरकार को और ना ही विपक्ष को कोई ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए जो प्रदेश वासियों को चुभे। प्रदेश की सत्तासीन सरकार को जहां अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भागना चाहिए, वहीं विपक्ष को भी शांति बहाली के लिए सरकार का साथ देना चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह कहना कि प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा पुलिस व सेना नहीं कर सकती। वास्तव में चिंतनीय है। क्योंकि मुख्यमंत्री जैसे गरिमामय पद पर बैठकर ऐसी बातें कहने से प्रदेश की आम जनता का मनोबल गिरता है। उनका सिर्फ यही फ़र्ज़ बनता है कि हर हाल में प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा करने का कर्तव्य उनकी ही सरकार का है। इस बयान के बाद विपक्ष को भी बोलने का मौका मिल गया। विपक्ष ने अपने तीखे व्यंग्य बाण छोड़ते हुए यहां तक कह डाला कि जब सरकार प्रदेश की नागरिकों की सुरक्षा करने में असमर्थ है तो उन्हें तुरंत प्रभाव से कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। हरियाणा के विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा व इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला एवं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने हरियाणा की भाजपा सरकार के खिलाफ कुछ ऐसे ही बयान दिए हैं। एक ऐसे दौर में जब प्रदेश संकट की घड़ी से गुजर रहा हो तो सत्तासीन सरकार व विपक्ष में बैठे नेताओं से ऐसी बयानबाजी की उम्मीद नहीं की जा सकती। सरकार को भी जहां नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए तो विपक्ष के नेताओं अन्य राजनीतिक पार्टी के नेताओं को भी यह कर्तव्य बनता है कि ऐसे समय में सरकार का दें। ब्रज मंडल यात्रा के दौरान इसे धार्मिक मुद्दा बनाकर उपद्रवियों ने जो हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया, उनकी जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। उपद्रवियों की कोई जाति धर्म नहीं होता। इसी नियम को अपनाते हुए सरकार को इन असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई को अंजाम देना चाहिए, ताकि भविष्य में प्रदेश का कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना को अंजाम देने से पहले एक बार नहीं बल्कि सौ बार सोचे। मेवात ऐसा जिला है, जहां मुस्लिम संप्रदाय की अधिकता है। लेकिन इन लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए इस जिले में भी हिंदू सहित अन्य धर्म के लोगों को भी अपने धार्मिक कार्यक्रम, रैली या किसी भी प्रकार का समागम करने का अधिकार है। बस सिर्फ इस तरह के कार्यक्रम से पहले जिला प्रशासन से अनुमति जरूर लेनी चाहिए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पहले से ही कदम उठाए जा सके। ब्रज मंडल यात्रा के दौरान आयोजकों से यही एक गलती हुई है। इस बात को खुद सरकार भी स्वीकार कर चुकी है। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि जिला प्रशासन के संज्ञान में लाने के मामले में आयोजकों से चूक हुई है। दूसरी तरफ सुरक्षा के मामले में हरियाणा प्रदेश के प्रत्येक जिले में तैनात खुफिया एजेंसियों को लेकर भी सवाल उठ रहा है। क्योंकि खुफिया एजेंसी इस यात्रा को लेकर होने वाले हमले या घटना की बात का इनपुट हरियाणा के गृह मंत्रालय को नहीं दे सकी। इस बात को भी हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज स्वीकार चुके हैं। खुफिया एजेंसियों के जिम्मेदार कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ भी इस मामले में लापरवाही बरतने की जिम्मेदारी तय करते हुए बड़ी कार्रवाई करनी चाहिए,ताकि भविष्य में खुफिया एजेंसियां भी सतर्क रह सके। कुछ भी हो इस मामले में हरियाणा सरकार को गहराई तक जांच करते हुए इस घटना के सूत्रधार की पहचान कर सलाखों के पीछे भेजना चाहिए। यहां यह बात भी याद रखनी होगी कि जब भी कभी हरियाणा प्रदेश में किसी भी प्रकार के आंदोलन को लेकर बड़ा विवाद हुआ है तो उसके बाद आंदोलनकारियों के दबाव में आकर सरकार पकड़े गए आरोपियों को बिना किसी शर्त के रिहा करवा देती है। ऐसा करने से पहले भी सरकार को गहन मंथन करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उपद्रवियों के हौसले बुलंद होते हैं और इस तरह के उपद्रवी दोबारा दुगनी ताकत के साथ समाज के सामने आकर एक बड़े नुकसान की ओर बढ़ते हैं। जनसंचार के विभिन्न साधनों इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया को भी ऐसे वक्त में किसी भी प्रकार का भड़काऊ समाचार न देकर शांति बहाली का संदेश देना चाहिए, ताकि प्रदेश में एक बार फिर सभी धर्मों के लोगों के बीच अमन-चैन स्थापित हो सके। कोई भी किसी की जान का दुश्मन नहीं बने।
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