एड्स व कैंसर से चार गुणा हैहैपेटाईटिस बी व सी से मरने वालों की संख्या
पीजीआई के अनुसार प्रदेश में 1 से 3 प्रतिशत लोग है इन बीमारियों के शिकार
हिसार~सन्दीप सिंहमार~
बीमारियां मानव शरीर को खोखला कर देती है। यह कहावत बहुत पुरानी मानी गई है। बीमारी छोटी हो या बड़ी सभी मनुष्य के शरीर पर अपना प्रभाव छोड़ती है, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी है जो प्रदेश में दिन-प्रतिदिन तेज गति से बढ़ती जा रही है। इन्हीं बीमारियों में शामिल है हैपेटाईटिस। इस बीमारी को आम भाषा में पीलिया के नाम से जाना जाता है। मेडिकल साइंस के अनुसार हैपेटाईटिस के पांच प्रकार होते हैं-ए, बी, सी, डी और ई। वैसे तो हैपेटाईटिस के सभी प्रकार मनुष्य के लिए खतरनाक होते हैं लेकिन हैपेटाईटिस बी व सी मनुष्य के शरीर के लिए घातक सिद्ध होते हैं। आमतौर पर जब लोग हैपेटाईटिस के शिकार होते हैं तो वे इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते। इस बीमारी को पीलिया का नाम देते हुए आरंभिक तौर पर अपने स्तर पर इसका ईलाज करने में जुट जाते हैं। ईलाज करने की यह विधि कई बार मनुष्य की जान भी ले लेती है। देश में हैपेटाईटिस बी व सी एचआईवी एड्स और कैंसर से भी अधिक गति से फैल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्तमान समय में करीब सवा करोड़ लोग इन गंभीर बीमारियों से पीडि़त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर वर्ष हैपेटाईटिस बी व सी बीमारी से मरने वालों की संख्या एचआईवी एड्स से मरने वालों की संख्या से करीब चार गुणा है। हरियाणा प्रदेश के भी आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं। पंडित भगवतदयाल शर्मा आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) रोहतक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 1 से 3 प्रतिशत लोग हैपेटाईटिस बी के वायरस से पीडि़त हैं। प्रदेश में हैपेटाईटिस बी व सी के मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद भी लोग व प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
कैसे फैलता है हैपेटाईटिस बी व सी
हैपेटाईटिस बी व सी संक्रमित रक्त संचार या संक्रमित मेडिकल उपकरणों के इस्तेमाल से होता हैं। वायरस के इंफैक्शन से ग्रस्त महिला के बच्चों को भी यह संक्रमण होने का खतरा होता है। चिकित्सकों का मानना है कि इस वायरस से पीडि़त व्यक्ति या महिला के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी हैपेटाईटिस बी फैलने की संभावना रहती है। लेकिन झूठा खाने व हाथ मिलाने से यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती।
टैटू गुदवाने से भी फैलता है हैपेटाईटिस बी
आम तौर पर प्रदेश के बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों के बाहर शरीर पर टैटू गोदने का काम करने वाले लोग अपनी छोटी सी मशीन लेकर बैठे रहते हैं। आज के युवाओं को शरीर पर टैटू गुदवाने का बहुत शौक है। टैटू गुदवाने का शौक विशेष तौर पर ग्रामीण लोगों में अधिक रहता है। टैटू गोदने वाला व्यक्ति अपनी एक ही सूई से हमेशा एक दूसरे व्यक्ति के शरीर पर टैटू गोदता है। चिकित्सकों के अनुसार इससे हैपेटाईटिस बी व सी फैलने का खतरा बना रहता है। हैपेटाईटिस बी से बचाव के लिए तो टीकाकरण भी किया जाता है लेकिन हैपेटाईटिस सी के नियंत्रण के लिए कोई टीका अभी तक उपलब्ध नहीं है। केवल जागरूकता ही बचाव का महत्वपूर्ण साधन हो सकता है।
ब्लड बैंकों के आंकड़े भी चौंकाने वाले
हैपेटाईटिस बी व सी से पीडि़त मरीज वैसे तो प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी अस्पतालों में पहुंचकर अपना ईलाज करवा लेते हैं। जिनकी संख्या निश्चित तौर पर नहीं आंकी जा सकती। लेकिन भिवानी के सिविल अस्पताल में स्थित सरकारी ब्लड बैंक में वर्ष 2010 में विभिन्न शिविरों के माध्यम से कुल 4006 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इस संबंध में ब्लड बैंक प्रभारी संजय वर्मा ने बताया कि वर्ष 2010 में एकत्रित किए गए रक्त की जांच के दौरान हैपेटाईटिस बी के 31 व हैपेटाईटिस सी के 12 मामले सामने आए हैं। इसी तरह हिसार के सामान्य अस्पताल के ब्लड बैंक पर एक नजर डाली जाए तो यहां हर माह रक्त जांच के दौरान 4-5 व्यक्ति हैपेटाईटिस बी व सी से संक्रमित मिलते हैं। भिवानी व हिसार के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों की भी स्थिति इसी प्रकार से हो सकती है।
क्या कहते हैं पीजीआई मेडिशियन विभागाध्यक्ष
इस संबंध में रोहतक मेडिकल कॉलेज के मेडिशियन विभागाध्यक्ष डॉ.प्रताप सिंह गहलोत ने कहा कि प्रदेश में हैपेटाईटिस बी के मरीजों की संख्या एचआईवी एड्स व कैंसर के मरीजों से अधिक है। प्रदेश की कुल जनसंख्या के 1 से 3 फीसदी लोग हैपेटाईटिस बी से पीडि़त है। डॉ.गहलोत ने बताया कि हैपेटाईटिस बी व सी दोनों खतरनाक बीमारी है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि हैपेटाईटिस बी और सी का संक्रमण लीवर सिरोसिस व लीवर कैंसर का मुख्य कारण है।
हिसार~सन्दीप सिंहमार~
बीमारियां मानव शरीर को खोखला कर देती है। यह कहावत बहुत पुरानी मानी गई है। बीमारी छोटी हो या बड़ी सभी मनुष्य के शरीर पर अपना प्रभाव छोड़ती है, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी है जो प्रदेश में दिन-प्रतिदिन तेज गति से बढ़ती जा रही है। इन्हीं बीमारियों में शामिल है हैपेटाईटिस। इस बीमारी को आम भाषा में पीलिया के नाम से जाना जाता है। मेडिकल साइंस के अनुसार हैपेटाईटिस के पांच प्रकार होते हैं-ए, बी, सी, डी और ई। वैसे तो हैपेटाईटिस के सभी प्रकार मनुष्य के लिए खतरनाक होते हैं लेकिन हैपेटाईटिस बी व सी मनुष्य के शरीर के लिए घातक सिद्ध होते हैं। आमतौर पर जब लोग हैपेटाईटिस के शिकार होते हैं तो वे इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते। इस बीमारी को पीलिया का नाम देते हुए आरंभिक तौर पर अपने स्तर पर इसका ईलाज करने में जुट जाते हैं। ईलाज करने की यह विधि कई बार मनुष्य की जान भी ले लेती है। देश में हैपेटाईटिस बी व सी एचआईवी एड्स और कैंसर से भी अधिक गति से फैल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्तमान समय में करीब सवा करोड़ लोग इन गंभीर बीमारियों से पीडि़त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर वर्ष हैपेटाईटिस बी व सी बीमारी से मरने वालों की संख्या एचआईवी एड्स से मरने वालों की संख्या से करीब चार गुणा है। हरियाणा प्रदेश के भी आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं। पंडित भगवतदयाल शर्मा आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) रोहतक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 1 से 3 प्रतिशत लोग हैपेटाईटिस बी के वायरस से पीडि़त हैं। प्रदेश में हैपेटाईटिस बी व सी के मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद भी लोग व प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
कैसे फैलता है हैपेटाईटिस बी व सी
हैपेटाईटिस बी व सी संक्रमित रक्त संचार या संक्रमित मेडिकल उपकरणों के इस्तेमाल से होता हैं। वायरस के इंफैक्शन से ग्रस्त महिला के बच्चों को भी यह संक्रमण होने का खतरा होता है। चिकित्सकों का मानना है कि इस वायरस से पीडि़त व्यक्ति या महिला के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी हैपेटाईटिस बी फैलने की संभावना रहती है। लेकिन झूठा खाने व हाथ मिलाने से यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती।
टैटू गुदवाने से भी फैलता है हैपेटाईटिस बी
आम तौर पर प्रदेश के बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों के बाहर शरीर पर टैटू गोदने का काम करने वाले लोग अपनी छोटी सी मशीन लेकर बैठे रहते हैं। आज के युवाओं को शरीर पर टैटू गुदवाने का बहुत शौक है। टैटू गुदवाने का शौक विशेष तौर पर ग्रामीण लोगों में अधिक रहता है। टैटू गोदने वाला व्यक्ति अपनी एक ही सूई से हमेशा एक दूसरे व्यक्ति के शरीर पर टैटू गोदता है। चिकित्सकों के अनुसार इससे हैपेटाईटिस बी व सी फैलने का खतरा बना रहता है। हैपेटाईटिस बी से बचाव के लिए तो टीकाकरण भी किया जाता है लेकिन हैपेटाईटिस सी के नियंत्रण के लिए कोई टीका अभी तक उपलब्ध नहीं है। केवल जागरूकता ही बचाव का महत्वपूर्ण साधन हो सकता है।
ब्लड बैंकों के आंकड़े भी चौंकाने वाले
हैपेटाईटिस बी व सी से पीडि़त मरीज वैसे तो प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी अस्पतालों में पहुंचकर अपना ईलाज करवा लेते हैं। जिनकी संख्या निश्चित तौर पर नहीं आंकी जा सकती। लेकिन भिवानी के सिविल अस्पताल में स्थित सरकारी ब्लड बैंक में वर्ष 2010 में विभिन्न शिविरों के माध्यम से कुल 4006 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इस संबंध में ब्लड बैंक प्रभारी संजय वर्मा ने बताया कि वर्ष 2010 में एकत्रित किए गए रक्त की जांच के दौरान हैपेटाईटिस बी के 31 व हैपेटाईटिस सी के 12 मामले सामने आए हैं। इसी तरह हिसार के सामान्य अस्पताल के ब्लड बैंक पर एक नजर डाली जाए तो यहां हर माह रक्त जांच के दौरान 4-5 व्यक्ति हैपेटाईटिस बी व सी से संक्रमित मिलते हैं। भिवानी व हिसार के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों की भी स्थिति इसी प्रकार से हो सकती है।
क्या कहते हैं पीजीआई मेडिशियन विभागाध्यक्ष
इस संबंध में रोहतक मेडिकल कॉलेज के मेडिशियन विभागाध्यक्ष डॉ.प्रताप सिंह गहलोत ने कहा कि प्रदेश में हैपेटाईटिस बी के मरीजों की संख्या एचआईवी एड्स व कैंसर के मरीजों से अधिक है। प्रदेश की कुल जनसंख्या के 1 से 3 फीसदी लोग हैपेटाईटिस बी से पीडि़त है। डॉ.गहलोत ने बताया कि हैपेटाईटिस बी व सी दोनों खतरनाक बीमारी है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि हैपेटाईटिस बी और सी का संक्रमण लीवर सिरोसिस व लीवर कैंसर का मुख्य कारण है।
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