Saturday, October 1, 2016

सभी नागरिकों की है राष्ट्र को स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी

...ताकि भारत बन सके स्वच्छ देश
सभी नागरिकों की है राष्ट्र को स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान को नहीं मिली गति
हिसार।
स्वच्छता का उद्देश्य किसी एक के प्रयास से नहीं बल्कि हर किसी नागरिक की चाह से पूरा हो सकता है। केवल केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अभियान की शुरूआत करने से देश को स्वच्छ बनाने का सपना देखना कोरी कल्पना हो सकता है। इस अभियान में जब तक हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने आस-पास के दायरे को स्वच्छ नहीं रखेगा तब तक स्वच्छ भारत अभियान को गति नहीं मिल सकेगी। फिलहाल देशभर में ऐसा हो रहा है। देश को स्वच्छ बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्ष पहले दो अक्तूबर 2014 को नई दिल्ली के राजघाट से 'स्वच्छ भारत अभियानÓ की शुरूआत की थी, लेकिन देश को स्वच्छ बनाने के उन लक्ष्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में अभी गति नहीं मिल सकी है। हालांकि प्रधानमंत्री ने भी स्वयं दो अक्तूबर 2019 तक इस लक्ष्य को भेदने का समय निर्धारित किया हुआ है। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में अभी-भी लोगों में व गांव की सरकार कही जाने वाली ग्राम पंचायतों में स्वच्छता के प्रति भाव पैदा नहीं हुआ। आज भी स्वच्छता के प्रति गांवों की हालत खुद ग्रामीणों की वजह से ही से ही अच्छी नहीं है। गावों के बीच में लगने वाले गंदगी के ढ़ेरों के प्रति न तो वहां रहने वाले लोग चिंतित ही है और न ही गांव की पंचायत। हिसार जिले में एक गांव खरड़ तो ऐसा है कि इस गांव की लगभग हर गली में गंदगी के बड़े-बड़े ढ़ेर देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं गांव की मेन गली में एक स्थान पर गंदगी के ढ़ेर इतने बढ़ चुके हैं कि आवागमन के लिए एक गली ही बंद हो गई है। खास बात यह है कि गंदगी के इस आलम का कोई भी ग्रामीण विरोध भी नहीं कर रहे हैं। गांव के अलावा शहरों में भी गंदगी का कु छ ऐसा ही आलम है। हिसार जिले के उपमंडल हांसी की स्थिति तो आस-पास के शहरों में सबसे खराब है। यहां गंदगी की समस्या से परेशान लोग स्थानीय नगर परिषद के कर्मचारियों के खिलाफ कई बार धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन स्थिति पहले से भी बदहाल बनी हुई है। 

ये हैं स्वच्छता अभियान के उद्देश्य
2014 में शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य 2019 तक हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता सुविधा उपलब्ध करवाना है। ठोस और द्रव्य अपशिष्ठ निपटान व्यवस्था, गांव में सफाई तथा पर्याप्त मात्रा में पीने के पानी उपलब्ध करवाना ही इस इभियान का उद्देश्य है। इसी तरह पहले भी शुरू किए गए ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, पूर्ण स्वचछता अभियान, निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना, निर्मल भारत अभियान का उद्देश्य भी कॉमन रूप से यही था। लेकिन 1986 में खास तौर से ग्रामीण महिलाओं के लिए शौचालयों का निर्माण करना, गांव की उचित सफाई व जल निकासी की उचित व्यवस्था करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया था। सही मायने में अभी तक ये उद्देश्य हासिल होने में भी ओर वक्त लग सकता है। वास्तव में स्वच्छ भारत अभियान को तभी गति मिल सकती है जब भारत का जन-जन अपनी जिम्मेदारी समझकर स्वच्छ राष्ट्र बनाने का संकल्प ले।

इस तरह चले स्वच्छता अभियान
देश को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान से पहले भी भारत में स्वच्छता से संबंधित विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की जा चुकी है। सबसे पहले 1986 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम अभियान की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भी विशेषकार गांव की उचित सफाई व्यवस्था, जल निकासी व्यवस्था, ठोस और द्रव्य अपशिष्ठ का निपटारण करना था। इसके बाद ग्रामीण साफ-सफाई कार्यक्रम को सही तरीके से लागू करने के लिए भारत सरकार ने 1999 में पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) की शुरूआत की। इतना ही नहीं स्वच्छता के तहत ही ग्राम पंचायतों को प्रेरित करने के लिए नेगेटिव मोटिवेशन का भी सहारा लिया। इसके तहत भारत सरकार ने जून 2003 में निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना की शुरूआत कर पूर्ण स्वच्छत गांव को पुरस्कृत करने की योजना लागू की। इसके अलावा 2012 में निर्मल भारत अभियान की भी शुरूआत की गई। लेकिन सही मायने में दो अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के राजघाट से स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया। इस अभियान का लोगों पर जितना प्रभाव पड़ा, उतना पहले के किसी भी अभियान का प्रभाव नहीं पड़ सका। 

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