हिसार।
बहुचर्चित मिर्चपुर प्रकरण में दिल्ली की रोहिणी में स्थित डा. कामिनी लाऊ की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में मिर्चपुर निवासी तीन लोगों कुलविंद्र, रामफल व राजेंद्र को उम्र कैद, पांच लोगों बलजीत, कर्मपाल, धर्मवीर उर्फ इल्ला, बोबल उर्फ लंगड़ा को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। फैसले के अनुसार जिन लोगों को सजा दी गई है उन्हें 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भी अदा करना होगा। वहीं अदालत ने इस प्रकरण में दोषी करार दिए गए सात लोगों सुमित, प्रदीप, प्रदीप पुत्र सुरेश, सुनील, राजपाल, ऋषि व मोनू को प्रोबेशन पर दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। इसके लिए बचाव पक्ष के वकील ने इन दोषियों को प्रोबेशन ऑफ आफेंडर्स एक्ट के तहत लाभ देने की अपील की थी। अदालत के फैसले के अनुसार दोषियों से मिलने वाली जुर्माने की राशि पीडि़तों को मुआवजे के तौर पर वितरित की जाएगी। न्यायाधीश कामिनी लाऊ ने अपने फैसले में इस तरह के मामलों पर नजर रखने के लिए संसद की लीगल कमेटी को सुझाव भी दिए। सुझाव में कहा गया कि ऐसे मामलों में जब पुलिस अधिकारियों द्वारा बयान दर्ज किए जाते हैं तो उनकी वीडियोग्राफी भी की जानी चाहिए व जिन दो जातियों में विवाद हुआ हो पुलिस जांच में उन दोनों जातियों से अलग जाति के अधिकारी होने चाहिए। फैसले के बाद पीडि़त पक्ष के वकील रजत कल्सन ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की जाएगी। दूसरी तरफ मिर्चपुर प्रकरण के फैसले के मद्देनजर गांव में जिला प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर तहसीलदार राजेश कुमार को तैनात किया गया। सुरक्षा व्यवस्था पर डीएसपी अमरीक सिंह, लाल सिंह व राजेंद्र सिंह ने नजर रखी। ज्ञात रहे कि 21 अप्रैल 2010 को नारनौंद के समीपवर्ती गांव मिर्चपुर में दो पक्षों के बीच हुए मामूली विवाद के बाद हुई आगजनी की घटना में वाल्मीकी समुदाय के ताराचंद व उसकी अपाहिज पुत्री सुमन मारे गए थे। अदालत ने इस मामले में 24 सितंबर को 98 आरोपियों को रिहा कर दिया था व 15 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था।
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