Wednesday, July 29, 2015

जानिए मुंबई के गुनहगार मेमन को कैसे लटकाया जायेगा फांसी के फंदे पर

जानिए मुंबई के गुनहगार मेमन को कैसे लटकाया 
जायेगा फांसी के फंदे पर 
नागपुर: करीब 257 लोगों की जान लेने और 700 से ज्यादा लोगों को घायल कर देने वाले 1993 के बंबई श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के मामले में मौत की सजा पाने वाले एकमात्र दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय की ओर से खारिज कर दिए जाने के बाद उसे फांसी तय है। जानकारी के अनुसार, मेमन को फांसी देने को लेकर नागपुर केंद्रीय कारागार में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। गौर हो कि याकूब 1993 के मुंबई बम विस्फोटों में मौत की सजा का सामना करने वाला एकमात्र व्यक्ति है। हालांकि, मेमन ने खुद को मिली फांसी की सजा की तामील पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, याकूब को 30 जुलाई को फांसी दी जानी है।
याकूब को फांसी दिए जाने की तैयारियों के बीच जानिये, उसकी जिंदगी के आखिरी लम्‍हें कैसे होंगे। 257 लोगों के गुनहगार के गले में फंदा डाला जाएगा और उसके आखिरी लम्‍हें के लिए जेल में कई कदम उठाए जाएंगे। महाराष्‍ट्र की नागपुर जेल में मेमन को फांसी देने की तैयारी है। यदि 30 जुलाई को फांसी के कार्यक्रम को तय किया जाता है तो 22 साल से जेल में बंद याकूब मेमन सात मिनट के अंदर फांसी के फंदे पर झूल जाएगा और उसकी कहानी खत्‍म हो जाएगी। नागपुर जेल के अंदर एक खुले परिसर में उसे फांसी दी जाएगी। ये परिसर चारों ओर से दीवारों से घिरी हुई है। फांसी वाले दिन याकूब को सजा पढ़कर सुनाई जाएगी। उसके सेल से महज कुछ कदम दूर होगा फांसी का फंदा और उसके सेल से फांसी के फंदे की दूरी महज 2 मिनट के करीब होगी।  
याकूब को फांसी देने के लिए फिलहाल तीन रस्सियों को बंदोबस्‍त किया गया है। इन्‍हीं में से एक रस्‍सी से याकूब को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। इन रस्सियों को मजबूत बनाने के लिए इन्‍हें घी में डुबोकर रखा जाता है। लटकाने पर तकलीफ न हो इसलिए रस्‍सी पर केले का लेप लगाया जाता है। फांसी के दिन सुबह में याकूब को उसकी पसंद के मुताबिक धार्मिक पुस्‍तक पढ़ने के लिए दी जाएगी। किसी प्रोफेशनल जल्‍लाद की गैर मौजूदगी में फांसी देने का जिम्‍मा जेल के ही किसी पुलिस कर्मचारी को सौंपा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, याकूब को फांसी देने के लिए जेल के तीन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। फांसी दिए जाने के दिन ही रस्‍सी का चयन किया जाएगा।
गौर हो कि महाराष्‍ट्र में केवल दो जेलों के अंदर ही फांसी देने का इंतजाम है। पुणे के यरवदा जेल के अलावा नागपुर के जेल में ही यह इंतजाम है। यदि याकूब को नागपुर जेल में फांसी दी जाती है तो यह 24वीं फांसी होगी। फांसी दिए जाने के बाद गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी जाएगी और फिर कानूनी कार्रवाई के बाद अंतिम कार्रवाई की प्रकिया शुरू की जाएगी। नागपुर पहुंच चुके याकूब के परिजन उसके लिए अब रहम की अपील कर रहे हैं। याकूब रजाक मेमन से तीन चार दिन पहले नागपुर स्थित केंद्रीय कारागार में उसकी पत्नी और बेटी सहित परिवार के कुछ लोगों ने भेंट की थी। ज़ी न्‍यूज याकूब के परिवारों के दावों या आरोपों का समर्थन नहीं करता है।
साभार ,ज़ी मीडिया ब्‍यूरो 

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याकूब मेमन की याचिका, 30 जुलाई सुबह 7 बजे होगी फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याकूब मेमन की याचिका, 30 जुलाई  सुबह 7 बजे होगी फांसी

नई दिल्ली।

1993 के मुंबई बम धमाकों के गुनहगार याकूब मेमन की फांसी तकरीबन तय हो गई है। एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट ने उसकी ओर से दायर याचिकाएं खारिज कर दी हैं, वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी उसकी दया याचिका ठुकरा दी है। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका पर गृहमंत्रालय से राय मांगी है। सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्रालय का भी मानना है कि याकूब की फांसी की सजा पर पुनर्विचार की कोई जरूरत नहीं है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में तकरीबन 5 घंटे चली सुनवाई के बाद तीन जजों की बेंच ने कहा कि याकूब मेमन की याचिका पर सुनवाई में किसी तरह की त्रुटि नहीं रही है। इस पर दोबारा सुनवाई नहीं होगी। इसके अलावा कोर्ट ने याकूब की दूसरी याचिका भी खारिज करते हुए डेथ वारंट को सही करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि डेथ वारंट में कोई चूक नहीं हुई है। इस फैसले के बाद तय हो गया है कि कल सुबह नागपुर जेल में सुबह सात बजे  याकूब को फांसी दी जाएगी।
उधर, महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी याकूब की दया याचिका खारिज कर दी है। महाराष्ट्र के डीजीपी विधानसभा में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने पहुंचे। इसके अलावा मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया भी फडणवीस से मुलाकात करने पहुंचे। याकूब के भाई ने मीडिया से बातचीत में सिर्फ इतना ही कहा कि मुझे भारतीय न्याय व्यवस्था और ऊपर वाले पर पूरा भरोसा है।
आज याकूब ने राष्ट्रपति के समक्ष भी दया याचिका दाखिल की। याकूब मेमन की तरफ से राजू रामचंद्रन ने जिरह करते दलील दी, 1-क्यूरेटिव पिटीशन को नियमानुसार नहीं सुना गया। 2-डेथ वारंट जारी होने से पहले ट्रायल कोर्ट ने उसे नहीं सुना। 3-याकूब की दया याचिका लंबित होने के बावजूद डेथ वारंट जारी कर दिया गया। 4-डेथ वारंट की जानकारी उसे 17 दिन पहले दी गई जबकि वो 90 दिन पहले जारी हुआ था। एनजीओ की तरफ से आनंद ग्रोवर ने जिरह की और कहा कि याकूब के साथ नाइंसाफी हो रही है।  अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी सरकार की तरफ से जिरह की।
इससे पहले कल दो न्यायाधीशों की पीठ 30 जुलाई को प्रस्तावित सजा पर अमल पर रोक की मांग वाली मेमन की याचिका पर बंट गई थी। जस्टिस एआर दवे और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के बीच असहमति के बीच, यह मामला चीफ जस्टिस एच एल दत्तू को भेजा गया जिन्होंने  न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत और न्यायमूर्ति अमिताव राय की बड़ी पीठ का गठन किया।
मेमन ने दावा किया था कि अदालत के सामने सभी कानूनी उपचार खत्म होने से पहले ही वारंट जारी कर दिया गया।न्यायमूर्ति एआर दवे ने मौत के वारंट पर रोक लगाए बगैर उसकी याचिका खारिज कर दी, वहीं न्यायमूर्ति कुरियन की राय अलग रही और उन्होंने रोक का समर्थन किया।

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